सोमवार, 21 अक्तूबर 2019

कविता : नदी के पास

" नदी के पास "

जब  मैं बैठा था नदी के पास,
मेरे दिमाग  रही थी कुछ बातें खास |
क्या होता है इसके अंदर,
क्या जुड़ा है इससे कोई समंदर | 
या फिर है इसमें सिर्फ पत्थर ही पत्थर,
या फिर इसमें भी है कुछ मच्छर | 
जिनके अंदर है कुछ अलग ही लक्षण,
बस ममें इसी बात पर दौड़ाऊँ दिमाग,
जब मैं बैठा था नदी के पास |   

कवि : समीर कुमार, कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के निवासी हैं और कानपुर के ' अपना घर ' नामक संस्था में रहकर अपनी शिक्षा को ग्रहण कर रहे हैं | समीर को कवितायेँ लिखने  का बहुत शौक है | समीर एक अच्छे संगीतकार भी हैं | छोटे बच्चों को कुछ नया करने के लिखे बहुत प्रेरित करते हैं |  

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