" खिलता हुआ फूल "
खिलता हुआ फूल चहकता हुआ लगता है,
हर रंग को बदलकर संवरना अच्छा लगता है |
खुशबू की महक से मोहित करने वह खाश अंदाज,
और सजकर गले हर बनना उसे सुहाना लगता है |
कीचड़ में हो तो भी महकने कोशिश करता है,
वह फूल जो खिलता हुआ मन को मोहित करता है |
अपने पंखुड़ियों को जब फैलाता है,
आस्मां से आकाश ओर जब झाँकता है |
हमें लगता वह प्रार्थना कर रहा है,
की हम खिले रहे मुस्कान से मिले रहे हैं |
कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
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