" सत्य की राह पर "
चल पड़े है देश की ओर,
लेकर आज़ादी की तमन्ना |
सत्य और अहिंसा को,
वो अपने जीवन पर अपनाएँ |
अपनी राह में सत्य को अपनाए,
यह बात उन्होंने कितनों को बतलाए |
न फ़िक्र की अपनी जिंदगी की,
न सोचा अपने तन की |
जो सोचे थे देश के सपने,
जहाँ हो केवल अपने |
जब हर एक कोई उठ गया,
जो देखे सपने वो पूरा हो गया |
इस सत्य की राह पर,
आज़ादी की तमन्ना पूरा हुआ |
कवि : संजय कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
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