" बनना है तुझे महान "
राह है कठिनाई से भरी,
इतना की उम्मीद से परे |
जिसे करना है पार,
झूझना है ताकि न हो हार |
कहीं चढ़ान तो कहीं ढलान,
कहीं ऊँचा तो कहीं नीचा |
चढ़े न इतना जल्दी थकान,
बनना है तुझे इस राह में महान |
उभारना है कठिनाइयों के बीच,
मरना है तुझे कुछ ऐसा ही तीर |
राह है कठिनाई से भरी,
इतना की उम्मीद से परे |
कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
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