शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2019

कविता : पानी का प्यासा

" पानी का प्यासा "

जो पानी का प्यासा था,
उसे हर क्षण एक शमशान की
जगह महसूस होता है
उसे न जीने की तमन्ना महसूस होता है |
उसके इतने ही क्षण में आत्मा में,
ख़ामोशी सी छा जाती है |
पानी की एक बूँद आने की आशा,
सी हो जाती है |
इसकी अहमियत की मूल्य नहीं,
और सोचने के लिए किसी
के पास दिल है कि नहीं |

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह हैं विक्रम कुमार जिन्होंने यह कविता लिखी है | विक्रम बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं और वर्तमान समय में कानपूर के आशा ट्रस्ट संस्था में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | विक्रम को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है | पढ़लिखकर एक रेलवे में काम करना चाहते हैं | विक्रम एक अच्छे वक्ता हैं |

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