" काश यूँ होता "
ऐ काश , काश यूँ होता,
एक उम्मीद का आश होता |
हर चीज करने की दिलाशा कहीं से मिलता ,
जिस प्रकार कीचड़ में कमल है खिलता
हर किसी के चेहरे पर मुस्कराहट होता,
मेहनत करने वालों की क़दमों में जहाँ होता |
ऐ काश , काश यूँ होता,
एक उम्मीद का आश होता |
कवि : अखिलेश कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
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