" उम्मीद का प्रकाश होता "
ऐ काश , काश यूँ होता,
अँधेरे में उम्मीद का प्रकाश होता |
किसी के हाथों में न हथियार होता,
बस लोगों के चेहरे पर प्यार होता |
जिस प्रकार क्रिकेट में सरफ़राज़ होता है
अंतिम गेंद में जीत की आश होता है |
जीवन में हर व्यक्ति खुद पर महान हैं
बस खुद को समझने में अनजान है |
ऐ काश , काश यूँ होता,
अँधेरे में उम्मीद का प्रकाश होता |
कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के निवासी है और अभी वह अपना घर संस्था में रहकर अपनी शिक्षा पूरी कर रहे हैं | प्रांजुल को विज्ञानं से बहुत प्रेम है इसीलिए वह जहाँ भी जाते हैं विज्ञानं की शिक्षा देने लगते हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखना का बहुत शौक है |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें