" जब जब मैंने उसे देखा "
जब - जब मैंने उसे देखा
हर पल कुछ न कुछ सोचा |
मेरी जिंदगी की यह फूल है,
जिसे मैंने किया कबूल है |
मैं बस उससे डरता हूँ हमेशा,
कहीं कोई उसे चुरा न ले |
उसे किसी और के हाथों में
उसे फूल को बेच दे |
जिसे चाहूँ में हमेशा,
जिससे बंधी थी मेरी रेखा |
जब - जब मैंने उसे देखा
हर पल कुछ न कुछ सोचा |
कवि : समीर कुमार।, कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर को गीत गाना बहुत अच्छे लगते हैं कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और वह अपनी बहुत सी चुके हैं | समीर को क्रिकेट खेलना भी बहुत अच्छा लगता है | समीर छोटों बच्चों से बहुत लगाव रखते है उन्हें अच्छी शिक्षा देना बहुत अच्छा लगता है |
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