" देश के दृश्य "
देखो लोग इस देश के,
घूमने जाते विदेश में |
पहले जाते एरोप्लेन से,
फिर चढ़ जाते ट्रेन में |
घूमने जब लगते विदेश में,
घूमते मंदिर और बाग़ में |
जब देखते हैं वो आम,
तब याद आती है देश की शान |
भागते चले आते है देश में
जहाँ खो जाते है इसके दृश्य में |
जब छूटा बुखार विदेश का,
याद आई गाँधी का उपदेश |
खाने लगे वह आम बहुत,
नहीं बताते दाम बहुत |
आम खाने को जब मिले मुफ्त में,
तब मज़ा आया इस देश में बहुत |
कवि : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं समीर जिन्होंने यह कविता लिखी है | समीर ने अपने सोचने के अंदाज से यह कविता लिखी है की लोग विदेश क्यों जाते है क्यों न अपने ही देश में रहे | समीर इसके आलावा अच्छा गीत भी गए लेते हैं | समीर बड़े होकर एक संगीतकार बनना चाहते हैं |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें