मंगलवार, 15 जनवरी 2019

कविता : हे प्रभु

" हे प्रभु "

हे प्रभु तू सुन मेरी पुकार,
फिर से बना दे ख़ूबसूरत संसार |
इंसानों के अंदर भर दे प्यार,
ताकि हर इंसान बन जाए यार |
फूलों की खुशबू को बढ़ा दे,
चाहे तो उसमें चार चाँद लगा दे |
तोड़ने पर न पहुंचे दुःख,
काँटों पर खिलकर भी रहे खुश |
इस संसार को ऐसा बना दे,
सोंचू तो दिल बहला दे |

                                                                                                                कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर





कवि परिचय : यह है प्रांजुल जिन्होंने यह कविता लिखी है | प्रांजुल छत्तीसगढ़ के निवासी है और कानपूर में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है | प्रांजुल पढ़लिखकर एक अच्छे इंजीनियर बनना चाहते हैं |

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