" तेरी दुनिया मेरी दुनिया "
तेरी दुनिया मेरी दुनिया,
अलग नहीं है मेरे साथी |
चाहे हो वह जंगल के जानवर,
या हो अपना प्यारा सा हाथी |
सुन्दर फूल हर जगह हैं,
सूखी पड़ी ये जमीं भी है |
क्या करूँ ऐ मेरे साथी,
यहाँ तो पानी की कमीं है |
फसलों की कमीं है,
बढ़ रही आबादी है |
कारण कुछ नहीं है यारा,
सिर्फ ये बर्बादी है यारा |
कवि : समीर कुमार, कक्षा 8th ,अपना घर
कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार जो की इलाहबाद के रहन वाले हैं और अपना घर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | समीर ने बहुत जल्द ही कवितायेँ लिखना सीख गए थे | समीर को इसके आलावा क्रिकेट खेलना भी पसंद हैं |
2 टिप्पणियां:
अच्छा प्रयास
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (25-06-2018) को "उपहार" (चर्चा अंक-3012) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
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