सोमवार, 3 दिसंबर 2012

शीर्षक : मजदूर

      मजदूर 
 गाँव से दूर .....
एक सुबह को मजदूर ।
आज की दुनिया .....
आज का मजदूर ।।
आज के भी ठेकेदारों ..
 का है कोई जवाब नहीं ।
 एक रात ऐसी नहीं ....
 जो मिले कवाब नहीं ।
 मजदूरों पर क्या बीतती ....
 क्या है उनकी मजबूरी ।
 जो इस तरह जुटकर ....
 दिन -रात करते मजदूरी ।
 नहीं उठता है फावड़ा ....
 फिर करते है काम ।
 क्या इन सब न्र नहीं सुना ....
 एक शब्द भी होता है ''आराम''।।
 आराम की दुनिया में ....
 हराम का पैसा है ठेकेदार ।।
 बेच दो इनको और ....
 छीन लो अपना अधिकार ।।
  गाँव से दूर .....
  एक सुबह को मजदूर ।
  आज की दुनिया .....
  आज का मजदूर ।।
नाम : सोनू कुमार 
कक्षा : 11
अपना घर , कानपुर 

3 टिप्‍पणियां:

समयचक्र ने कहा…

sundar rachana ...

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति !!

रविकर ने कहा…

बढ़िया है -

शुभकामनायें सोनू-