बचपन
ओ मेरे बचपन कहाँ तुम गए ?
जब हम खेले थे लुका -छिपी ।।
एक दूजे के मारते थे धप्पी ।
हमें अपने दे दूर करके ।
बचपन के सारे साथी भी गए ।।
ओ मेरे बचपन कहाँ तुम गए ?
बारिस से भरे गड्ढे - नालों में ।।
उस नाव पे बैठाते थे चीटे को हम ।
कागज की नाव बहाते थे संग -संग ।।
हमारी ये खुंशिया कौन ले गए ।
ओ मेरे बचपन कहाँ तुम गए ?
पतंगों की डोर सी अपनी कहानी ।।
बचपन की गलती है हमने मानी ।
फूलो सा खिलाना सिखाया था तुमने ।।
बचपन का गुसा भी सहते गए ।
ओ मेरे बचपन कहाँ तुम गए?
ओ मेरे बचपन कहाँ तुम गए ?
जब हम खेले थे लुका -छिपी ।।
एक दूजे के मारते थे धप्पी ।
हमें अपने दे दूर करके ।
बचपन के सारे साथी भी गए ।।
ओ मेरे बचपन कहाँ तुम गए ?
बारिस से भरे गड्ढे - नालों में ।।
उस नाव पे बैठाते थे चीटे को हम ।
कागज की नाव बहाते थे संग -संग ।।
हमारी ये खुंशिया कौन ले गए ।
ओ मेरे बचपन कहाँ तुम गए ?
पतंगों की डोर सी अपनी कहानी ।।
बचपन की गलती है हमने मानी ।
फूलो सा खिलाना सिखाया था तुमने ।।
बचपन का गुसा भी सहते गए ।
ओ मेरे बचपन कहाँ तुम गए?
नाम : आशीष कुमार
कक्षा : 1
अपना घर ,कानपुर
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