रात हमारी
अगर न होती रात हमारी ।।
हमको दिखता उजाला ही उजाला ।
अगर न होता सूरज दिन को ।
कैसे चमकता हमारा वातावरण ।।
पर्वत न होते ऊँचे - ऊँचे ।
तो इसको पहाडो से बहाता कौन ।।
अगर न होती रात हमारी ।।
तो उजाला हमको दिखाता कौन ।
रात को तारे चमकते है सारे ।
दिखने में लगते चाँद सितारे ।।
अगर न होती रात हमारी ।।
हमको दिखता उजाला ही उजाला ।
अगर न होता सूरज दिन को ।
कैसे चमकता हमारा वातावरण ।।
पर्वत न होते ऊँचे - ऊँचे ।
तो इसको पहाडो से बहाता कौन ।।
अगर न होती रात हमारी ।।
तो उजाला हमको दिखाता कौन ।
रात को तारे चमकते है सारे ।
दिखने में लगते चाँद सितारे ।।
नाम : जितेन्द्र कुमार
कक्षा : 9
अपना घर ,कानपुर
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