सोमवार, 3 दिसंबर 2012

शीर्षक : कुत्ता
काश मै भी सेठ जी का कुत्ता होता ।
तो हमारे मजे ही मजे होते ।
सुबह - सुबह बाइक मे बैठ कर ।।
करता मै भी सैर ।
खाने को मिलता माखन , बिस्कुट ,
प|नी मे होता ताजा दूध ।
खुल जाते भाग्य  हमारे ।।
यदि सेठ के कुत्ते होते हम बेचारे ।
सर्दी की तो बात निराली ,
एक बढ़िया सा होता मेरा बिस्तर ।।
जिस पर  सोता,बैठता ,लेटता ।
सबकी जुंबा पर एक ही पुकार ।।
कोई कहता नीलू ,
तो कोई कहता पीलू ,
तो प्यार से बोलता डॉगी,
तो किसी की  जुंबा पर होता मैगी ।।
न पढ़ना पड़ता न कुछ ,
बैठ - बैठ मिलता सब कुछ ।
यदि मौका मिले तो न चून्कू ,
सेठ के दुश्मन पर बड़े जोर से भौकूँ।

नाम : आशीष कुमार
कक्षा : 10
अपना घर ,कानपुर