कंहा डालें हम डेरा
दो दिन का है मेला,
कंहा डालें हम डेरा ....
ये जिन्दगी का है फेरा,
कंही तेरा कंही मेरा ....
दो दिन के सपनों में ,
जिनगी को हमने फेरा....
एस मेले में हमको उन्होने ढकेला,
जिन्होने हमको एस दुनियां में अकेला छोड़ा....
दो दिन का है मेला ,
कंहा डालें हम फेरा ....
नाम : अशोक कुमार
कक्षा : 9
अपना घर ,कानपुर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें