शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

कंहा डालें हम डेरा

कंहा डालें  हम डेरा 
दो दिन का है मेला,
कंहा डालें हम डेरा ....
ये जिन्दगी का है फेरा,
कंही तेरा कंही मेरा ....
दो दिन के सपनों में ,
जिनगी को हमने फेरा....
एस मेले में हमको उन्होने ढकेला,
जिन्होने हमको एस दुनियां में अकेला छोड़ा....
दो दिन का है मेला ,
कंहा डालें हम फेरा  .... 
नाम  : अशोक कुमार 
 कक्षा : 9                       
अपना घर ,कानपुर     

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