शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2011

मैं सोचता हूँ

मैं सोचता हूँ
जब मैं सुबह स्कूल जाता हूँ ....
गरीब बच्चों को देखकर बहुत  पछताता हूँ|
फुटपाथ पर वे बस्ती बनाकर रहते हैं....
उन बच्चों को देखकर मेरा मन दुखी हो जाता है|
ये बच्चे रहते होंगे  कैसे....
इन बच्चो को पढ़ाने के लिए नहीं होंगे पैसे|
ये बच्चे न पढ़ पाते न लिख पाते ....
ये बच्चे मजदूरी व अन्य कार्य करके घर को चलाते|
 इन बच्चों का भी पढने  का होता होगा मन....
लेकिन माता पिता के पास  इतना नहीं है धन |
 इनके माता पिता रोज खाते हैं रोज कमाते हैं ....
अपने बच्चों की शिक्षा के लिए पैसे क्यों नहीं बचाते है |
हमें ऐसे परिवारों को समझाना चाहिए.....
शिक्षा  और अशिक्षा का मतलब भी बताना चाहिए |
ऐसे बच्चों के लिए एक घर बनवाना चाहिए ....
इन बच्चों के माता पिता को नरेगा के |
तहत सौ दिन का कम दीवान चाहिए ....  
इन बच्चो को अच्छी शिक्षा दिलवाना चाहिए|
 जब मैं सुबह स्कूल जाता हूँ ....
गरीब बच्चों को देखकर भुत पछताता हूँ|
नाम: मुकेश कुमार 
कक्षा:10 
अपना घर ,कानपुर

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