शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

अंधेरी- रात

 कविता =अंधेरी -रात
अंधेरी काली रात थी ,
 नेताओ की बारात थी.....
 बारात में नेता जी आये थे,
 भ्रष्टाचार फैलाये थे .....
अंधेरी काली रात थी ,
 नेता जी फैलाये झोला ....
 करते हैं गड़बड़ घोटाला ,
 जनता को पता चला .....
लगता हैं सब करते हैं घोटाला,
 अंधेरी काली रात थी .....
 नेताओ की बारात थी......
 लेखक - सागर कुमार 
 कक्षा - ८ अपना घर, कानपुर

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