कविता - खेल और स्वास्थ्य
खेल और स्वास्थ्य में हो जाये मेल ,
खेल- खेल में बन जाये रेल.......
खेल हैं एक जीवन का हिस्सा हैं ,
हमने सुना हैं दादी माँ से किस्सा .....
एक बार की बात बताये ,
साईकिल का चक्का हाथ चलाये .....
यह देखकर हुआ अचमभा ,
सर्कस वाला था भिखमंगा......
खेल स्वास्थ्य में हो जाये मेल ,
खेल- खेल में बन जाये रेल .......
लेखक -ज्ञान कुमार
कक्षा- ८ अपना घर, कानपुर
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