बुधवार, 29 जून 2011

कविता : संसार

 संसार 

इस परिवर्तनशील संसार में ,
बढ़ रही है मनुष्यों की आबादी ....
जिससे पर्यावरण व प्रकृति में ,
हो रही है हर वस्तु की बर्बादी ....
मानव है इससे परिभाषित ,
फिर भी करता इसको प्रदूषित ...
पर्यावरण बचाना नहीं है इतना आसान ,
यदि बच जाए तो जग हो जाए महान ....


लेखक : सागर कुमार 
कक्षा : 8
अपना घर 

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