सुबह का है ये मौसम सुहाना ,
अच्छा लगता हैं टहलने जाना.....
सूरज अपनी लालिमा बिखेरता,
फिर इस संसार को निहारता.....
पर्वतों के बीच से सूरज निकलता,
उसकी लालिमा को देख कर जी मचल उठता ......
और चिड़ियों का चहचहाना,
अच्छा लगता उनका यह गाना.....
ह्रदय को हरने वाली यह सुन्दरता,
देख यह सब कितना अच्छा लगता.....
सूरज की ये प्यारी किरणें,
जो पानी में लगती हैं गिरने....
सौन्दर्यता का प्रतीक यह प्रभात,
सबको अच्छी लगती यह बात....
लेख़क : धर्मेन्द्र कुमार
कक्षा : ८
अपना घर , कानपुर
कक्षा : ८
अपना घर , कानपुर
2 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर....
वाह धर्मेन्द्र मजा आ गया, बहुत अच्छा लिखा है |
एक टिप्पणी भेजें