क्या हो रहा हैं इस संसार में ,
कैसा शोर मचा हैं इस संसार में ....
अब क्या होगा इस संसार का,
मैं सब यह सोच रहा हूँ .....
मानव भी दानव हो गया हैं ,
अब खेत भी खलिहान हो गये ....
पहले खेतों में होती थी हरियाली,
मानव के अन्दर आ जाती थी खुशहाली .....
लेकिन अब कहाँ होती हैं हरियाली,
अब मानव की बात हैं निराली .....
लेख़क : ज्ञान कुमार
कक्षा : ७
अपना घर , कानपुर
कक्षा : ७
अपना घर , कानपुर
3 टिप्पणियां:
सुंदर बात कहती कविता......
भैया आपकी सोच बहुत गहरी है जो सभी को सोचने पर विवश करती है . सच्ची बात कही
अनुष्का
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...आभार
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