काले-काले बादल छाए ,
बरसात का मौसम हैं लाये ....
रिमझिम-रिमझिम बरसा पानी ,
खेत सब भर गये हैं खाली ....
बरसात के एक-एक बूंदों में ,
छिपा है शरबत का मीठा पानी ....
किसान भाई होते हैं होशियार ,
धान लगा देते हैं खूब हजार ....
काले-काले बादल छाए ,
बरसात का मौसम हैं लाये ....
लेख़क :सागर कुमार ,कक्षा :७
अपना घर
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2 टिप्पणियां:
jandar,shandar,damdar.narayan narayan
बहुत सुन्दर कविता लिखी सागर भैया आपने ...
नन्ही ब्लॉगर
अनुष्का
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