शनिवार, 31 जुलाई 2010

कविता जल

जल
इस समय पानी का हैं बहुत तोता|
पैसे में बिकता हैं पानी एक लोटा ||
बरसात में करोड़ों लीटर बर्बाद हो जाता|
लेकिन किसी का इस पर ध्यान न जाता||
बरसात के पानी का कैसे करें उपयोग|
अब हम न करे इसका दुर्पयोग ||
बहुत लोग पानी बचने पर देते हैं तर्क|
लेकिन इसका किसी पर न पड़ता फर्क||
बरसात के पानी का हम करे सरंक्षण|
न होने देगे हम अब इसका भक्षण||
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लेखक धर्मेन्द कुमार कक्षा अपना घर कानपुर