प्रदूषण ने किया है परेशान ।
खोले हैं ये फैक्ट्रियों की खान ॥
गर्मी से हैं अब सब बेहाल ।
मत पूछों अब किसी का हाल ॥
जब मार्च के महीने में है यह हाल ।
तो मई जून आदमी हो जाएगा लाल ॥
आगे और पता नहीं क्या होगा ।
आदमी का कुछ पता नहीं होगा ॥
गाड़ी मोटर कार जो चलाते ।
जाने कितना ये प्रदूषण कर जाते ॥
क्यों न करें हम साइकिल का इस्तेमाल ।
शायद सुधर जाए थोड़ा हाल ॥
पड़ रही है गर्मी बहुत इस बार ।
पहुँच गया है पारा ४६ के पार॥
लेखक :धर्मेन्द्र
कक्षा :८
अपना घर
कक्षा :८
अपना घर
2 टिप्पणियां:
सम सामयीक कविता
बहुत सुन्दर ...साइकिल वापस आ रही है..जीवन चक्र है.....साइकिल सबसे सरल सवारी ...ना फैले इससे बीमारी...
एक टिप्पणी भेजें