यह ब्रह्माण्ड है कितना अनोखा ।
इसको गौर से हमने नहीं है देखा ॥
कैसा है ये ब्रह्माण्ड हमारा ।
जिसमें छोटा सा है संसार हमारा ॥
क्या कहीं और भी होगा जीवन ।
क्या वहां पर भी होगा अपना पन ॥
यह तो है एक अनोखी कहानी ।
जो अभी तक हमनें नहीं जानी ॥
मैं भी जाऊँगा एक दिन चाँद पर ।
जहाँ पर नहीं है हवा, पानी और घर ॥
ये अजीब सा ब्रह्माण्ड होगा कैसा ।
जैसा हमने सोंचा क्या होगा वैसा ॥
लेखक : धर्मेन्द्र कुमार, कक्षा :८ ,अपना घर
2 टिप्पणियां:
सुन्दर
सजग कल्पना !!! सुंदर...
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