सोमवार, 21 जून 2010

कविता पेड़ के नीचे

पेड़ के नीचे
एक पेड़ के नीचे ,
पौधे में खरगोश पानी सीचे.....
एक पेड़ में बैठा था,
रोज गाजर खाता था....
नहीं किसी से बताता था,
एक दिन किसान आया....
साथ में अपने तलवार लाया,
चुपके से खरगोश के पास गया.....
पूछा तुम्हारा काम हो गया,
बन्दर ने कहा नहीं.....
किसान ने कहाँ रुक यही,
निकली अपनी तलवार.....
कर दिया उस पर वार,
एक पेड़ के नीचे....
पौधे में खरगोश पानी सीचे......
लेखक मुकेश कुमार कक्षा अपना घर कानपुर

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बेटा, लिखने के बाद पढ़कर देखो कि क्या जो आप लिखना चाहते हैं, वो ही सामने वाला समझ पायेगा तो रचना प्रभावी होगी. आपका प्रयास अच्छा है मगर आप कहना क्या चाहते हैं, यह साफ नहीं हो पाया. जरा से प्रयास से यह रचना बहुत उम्दा हो सकती है. शाबास इस प्रयास के लिए.

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बेहतरीन कविता