एक मकान में चार दुकान ।
बनते थे सब में पकवान ॥
चारो दुकानों में थे मोटे हलवाई ।
करते-रहते थे दिन-रात लड़ाई ॥
लड़ाई में क्या होते थे मुद्दे ।
दुकान में सौदे हो जाते थे मद्दे ॥
चारो दुकानों में सन्डे को होता था अवकाश ।
उस दिन चारो हलवाई नहीं करते थे बकवाश ॥
एक मकान में चार दुकान ।
बनते थे सब में पकवान ॥
लेखक :ज्ञान कुमार
कक्षा :७
अपना घर
कक्षा :७
अपना घर
2 टिप्पणियां:
एक मकान में चार दुकान ।
बनते थे सब में पकवान
" वाह हलवाई की दूकान का नाम सुनते ही पकवान की खुशबु आने लगी हा हा हा
"
"lov" and "luck"
vah vah vah vah
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