एक मकान में चार दुकान।
बनते थे सब में पकवान।।
चारो दुकानों में मोटे हलवाई।
करते रहते दिन रात लड़ाई॥
लड़ाई में क्या होते थे मुद्दे।
दुकान में सौदे हो जाते थे मद्दे ॥
चारो दुकानों में सन्डे को होता था अवकाश।
उस दिन चारों हलवाई नहीं करते थे बकवास॥
एक मकान में चार दुकान।
बनते थे सब में पकवान॥
लेखक : ज्ञान कुमार
कक्षा : सात
3 टिप्पणियां:
बढ़िया... :)
आईये सुनें ... अमृत वाणी ।
आचार्य जी
हा..हा..हा...सुन्दर बाल-गीत. खूब मजेदार रहा ये तो !!
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