पर्यावरण और कल कल झरनों की आवाज
महसूस करो दोस्तो गंगा-यमुना की आवाज
एक समय ऐसा भी था
गंगा-यमुना समुन्दर जैसी थी
गंगा-यमुना के पानी से
क्यों कर रहे हैं कोका-कोला तैयार
क्या तुम्हें याद हैं एक बात
पड़ गया था पानी का आकाल
उस समय येसा था
गंगा-यमुना में पानी कम था
गंगा-यमुना को है बचाना
वातावरण को है सुन्दर बनाना
लेखक :सागर कुमार
कक्षा :६
अपना घर
कक्षा :६
अपना घर
4 टिप्पणियां:
बहुत अच्छा संदेश दिया है.
sagar, aapki kavita ko padh kar sikhne ko mila hai.....thanks a lot
vaaha saagar ne to bahut badhiya sandesh diya hai is bal heet ke madhyam se----.
गंगा-यमुना को है बचाना
वातावरण को है सुन्दर बनाना
" बहुत अच्छा संदेश देती ये कविता बहुत सुन्दर"
love ya
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