रविवार, 18 अप्रैल 2010

कविता: वतन

इस वतन से सबको प्यार है..........

वतन के तुम वतन के,
इस वतन से सबको प्यार है।
हिन्दू लड़ते मुस्लिम लड़ते,
क्यों इनके बीच भेद की दिवार है।
दिवार ये है किसने बनाई,
ये जानना हम सबका अधिकार है।
जो जाने जो समझे,
उसका जीवन बेकार है।
हम जीते है हम मरते है,
नहीं किसी से डरते है।
हम वतन के तुम वतन के,
इस वतन से सबको प्यार है।
जिसको अपने वतन से नहीं है प्यार,
उसका इस धरती पर जीना है बेकार

लेखक: आदित्य कुमार, कक्षा , अपना घर

5 टिप्‍पणियां:

Shekhar Kumawat ने कहा…

bahut khub



shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/\

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

माधव( Madhav) ने कहा…

बहुत बढ़िया

Udan Tashtari ने कहा…

ये बात..बहुत बढ़िया. वेरी गुड आदित्य!

seema gupta ने कहा…

आदित्य बहुत सुन्दर कविता लगी
love ya