मौसम यह कैसा अदभुत है,
न जाने कैसी सबकी सेहत है।
इस बार ऐसा तापमान बढ़ा है,
सूरज धूप लेकर सिर पर खड़ा है।
ऐसी गर्मी मई जून माह में होती,
गर्म हवायें उसके साथ में बहती।
इस बार है देखो कैसा ये मौसम,
इस गर्मी में कौन उठाये धूप का जोखम।
जाने क्यों ऐसी गर्मी इस बार बढ़ी है,
ऐसा लगता मौत सबके सिर पर खड़ी है।
लेखक:आशीष कुमार, कक्षा ७, अपना घर
4 टिप्पणियां:
सुना इस बार बहुत गर्मी पड़ रही है. धूप में मत खेलना, तबीयत खराब हो जायेगी.
बहुत बढ़िया कविता लिखी है.
प्यारे बच्चों , आपके समीर अंकल जी से आपके इस ब्लॉग का पता चला, आपकी प्यारी प्यारी कविताएँ भी पढ़ी.....और आप सभी बच्चों का ये प्रयास मन को छु गया......यूँही लिखते रहो, और जिन्दगी में आगे बढ़ते रहो. भगवान् आप सभी को आपके लक्ष्य को प्राप्त करने में आपना आशीर्वाद जरुर देंगे.
love ya
sab jagah garmi ka yahi haal hai..
Chhoti se umra mein bahut achhi rachna.... prayas sarhaniya hai..
Shubh ashhirvaad.....
प्रिय आशीष, कविता के माध्यम से गर्मी के मौसम का बहुत ही सुंदर चित्रण किया है. इस ब्लाग का पता आपके समीर अंकल से मिला, अब पढने आता रहुंगा.
रामराम.
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