हम वतन के तुम वतन के,
इस वतन से सबको प्यार है।
हिन्दू लड़ते मुस्लिम लड़ते,
क्यों इनके बीच भेद की दिवार है।
दिवार ये है किसने बनाई,
ये जानना हम सबका अधिकार है।
जो न जाने जो न समझे,
उसका जीवन बेकार है।
हम जीते है हम मरते है,
नहीं किसी से डरते है।
हम वतन के तुम वतन के,
इस वतन से सबको प्यार है।
जिसको अपने वतन से नहीं है प्यार,
उसका इस धरती पर जीना है बेकार ।
लेखक: आदित्य कुमार, कक्षा ७, अपना घर
5 टिप्पणियां:
bahut khub
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/\
nice
बहुत बढ़िया
ये बात..बहुत बढ़िया. वेरी गुड आदित्य!
आदित्य बहुत सुन्दर कविता लगी
love ya
एक टिप्पणी भेजें