" डरपोक का डर "
डरपोक का एक सपना,
सपने में हुई एक घटना |
घटना थी काफी खास ,
बिस्तर में पड़ी थी एक लाश |
लाश से वह डर रहा था ,
बिस्तर से दूर हट रहा था |
जब बिस्तर का आया किनारा,
तब उसको न मिला कोई सहारा |
जब बिस्तर गिरा धड़ाम,
डरपोक के मुँह से निकला है हाय राम |
न उसके बिस्तर में कोई लाश था,
ये तो केवल डरपोक का सपना था |
नाम : ज्ञान कुमार , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं ज्ञान जो कि अपनाघर के पूर्व छात्र हैं | ज्ञान अपनाघर के सबसे पुराने छात्र है जो सन 2015 में इन्होने अपना कक्षा 12 की परीक्षा में अच्छे अंक से पास किया |
2 टिप्पणियां:
सुन्दर
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, चैन पाने का तरीका - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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