शनिवार, 4 अगस्त 2018

कविता : सपथ ली है

" सपथ  ली है " 

भारत को देखो यह देश है कैसा ,
 इसमें नीति है यह देश है ऐसा | 
जब तक गाँधी जी की साँस थी ,
तब तक भारत को आज़ाद कराया | 
भारत में जब अंग्रेज़ थे ,
तो यह भारत बंधी था | 
जब गाँधी जी भारत में आए ,
तो भारत को आज़ाद कराया | 
लोग आज़ादी का सपना देखते थे ,
नए सपने सजाने की कोशिश करते थे | 
देश के वीर जवानों ने क़ुरबानी दी है , 
हमने देश को स्वच्छ बनना की सपथ ली है | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th  , अपना घर 

                                                                                       

कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | कक्षा 4 से कवितायेँ लिखना शुरू कर दिया था | बड़े होकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं | प्रांजुल छोटे बच्चों की बहुत मदद करते हैं | 

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