सोमवार, 13 अगस्त 2018

कविता : बालगोपाला

" बालगोपाला "

लल्लन के लाल,  बालगोपाल,
यशोदा का नटखट नन्दलाल |
 पूरे मथुरा में बजाता है मुरली,
बन्सी से निकलती आवाज़ सुरीली |
मन को मोह लेने वाला,
मथुरा का बालगोपाल |
सुदामा संग चुराता माखन,
अद्भुद प्यारा था वो बचपन |
गौ चराता  मुरली बजाता,
राधा संग प्रेम के नैन लड़ाता |
गोपाल तो था बहुत काला,
फिर भी था एक सच्चा दिलवाला | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

                                                                             

कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजुल पढ़ लिखकर एक अच्छे इंजीनियर बनना चाहते हैं | प्रांजुल कवितायेँ बहुत अच्छी लिखते हैं | पढ़ने में बहुत अच्छे होने के साथ ही छोटे बच्चों को भी पढ़ाते हैं | 
 

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