गुरुवार, 10 जनवरी 2013

शीर्षक : माँ

          " माँ "
  तू ममता की झोली है ।
 तेरी महिमा जग में न्यारी है।।
 तू साथ समुद्र से भी गहरी है ।
 फिर भी तेरी लहरें  नहीं ।।
 तू ममता की झोली है ।
 तेरी महिमा जग में न्यारी है।।
 तेरे बिना घर गृहस्थी  अधूरी है ।
 तू घर की देवी है ।
तू  है पीयूष चमन की हरदम ।
 तेरे बिन शोक पवन की  चलती ।।
 तू ममता की झोली है ।
 तेरी महिमा जग से न्यारी ।।
 
नाम : अशोक कुमार 
कक्षा :10
अपना घर , कानपुर 

2 टिप्‍पणियां:

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत प्यारी कविता .....

Shiksha Niti ने कहा…

wah kya baat kahi hai
maa shabd kahte hi muh bhar jata hai

maa maa wah ji wah kya kavita hai