" माँ "
तू ममता की झोली है ।
तेरी महिमा जग में न्यारी है।।
तू साथ समुद्र से भी गहरी है ।
फिर भी तेरी लहरें नहीं ।।
तू ममता की झोली है ।
तेरी महिमा जग में न्यारी है।।
तेरे बिना घर गृहस्थी अधूरी है ।
तू घर की देवी है ।।
तू है पीयूष चमन की हरदम ।
तेरे बिन शोक पवन की चलती ।।
तू ममता की झोली है ।
तेरी महिमा जग से न्यारी ।।
तू ममता की झोली है ।
तेरी महिमा जग में न्यारी है।।
तू साथ समुद्र से भी गहरी है ।
फिर भी तेरी लहरें नहीं ।।
तू ममता की झोली है ।
तेरी महिमा जग में न्यारी है।।
तेरे बिना घर गृहस्थी अधूरी है ।
तू घर की देवी है ।।
तू है पीयूष चमन की हरदम ।
तेरे बिन शोक पवन की चलती ।।
तू ममता की झोली है ।
तेरी महिमा जग से न्यारी ।।
नाम : अशोक कुमार
कक्षा :10
अपना घर , कानपुर
2 टिप्पणियां:
बहुत प्यारी कविता .....
wah kya baat kahi hai
maa shabd kahte hi muh bhar jata hai
maa maa wah ji wah kya kavita hai
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