शनिवार, 26 जनवरी 2013

शीर्षक : दामिनी की आवाज

  '' दामिनी  की  आवाज ''
मरी नहीं मैं जिन्द्दा हूँ ।
सफेद रंग का परिन्द्दा हूँ ।।
नाम  नहीं कोई मेरा ।
न नाम मेरा तुम जानो ।।
मेरी धड़कन को सुन लो ।
मेरी आवाज को पहचानो ।। 
इंसाफ चाहिए मुझको ।
जो तुम ही दिल सकते हो ।।
मैं सो गई तो क्या हुआ ।
तुम तो देश को जगा  सकते हो ।।
दामिनी नाम रखकर ,
इस देश मे बनी मेरी पहचान ।
मई नहीं चाहती की के साथ हो ।।
जैसा मेरा हुआ अंजाम ।
 मरी नहीं मैं जिन्द्दा हूँ ।
 सफेद रंग का परिन्द्दा हूँ ।।
नाम : रितिक चंदेल 
उन्नाव  

3 टिप्‍पणियां:

शारदा अरोरा ने कहा…

kal is kavita ko amar ujala ke sath padha...bahut achchhi lgi.

nayafanda ने कहा…

Very nice kavita

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مركز الاختيار للطب النفسي ने कहा…

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