बुधवार, 21 नवंबर 2012

शीर्षक : यह भी जिंदगी

"यह भी जिंदगी"

क्या इंसान भी वो होते है ।
जो भूखे ही सोते है ।।
नहीं है उनका कोई सहारा ।
भूखा रहता उनका पेट बेचारा ।।
जो देता है उनको दान ।
वो करते है उनका सम्मान ।।
भलाई का जमाना नहीं रहा।
युग कलयुग का चल रहा।।

नाम : ज्ञान कुमार , कक्षा : 9, अपना घर ,कानपुर 

1 टिप्पणी:

nilesh mathur ने कहा…

बहुत सुंदर कविता लिखी है, ज्ञान को बहुत शुभकामना।