" भूखा मजदूर"
अगर न होते बाग - बगीचे ।
और न होते खेत - खलिहान ।।
कहाँ से आता गेंहूँ चावल ।
कैसे भरता हम लोगो का पेट ।।
किसान उगाता है सब्जी।
गेंहूँ, चावल, और भांटा ।।
किसान अपनी मेहनत करके खाता है ।
और हमें खिलाता है ।।
अगर न होते बाग - बगीचे ।
और न होते खेत - खलिहान ।।
कहाँ से आता गेंहूँ चावल ।
कैसे भरता हम लोगो का पेट ।।
किसान उगाता है सब्जी।
गेंहूँ, चावल, और भांटा ।।
किसान अपनी मेहनत करके खाता है ।
और हमें खिलाता है ।।
नाम : जितेन्द्र कुमार, कक्षा : 9, अपना घर , कानपुर
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