तपती धरती उबलता रवि ।
प्रकृति पर लिखता कवि ।।
ये कैसा संसार है ।
सबको अपने जीवन पर प्यार है ।।
ये संसार हमारा है ।
इसको मिल कर बचाना है।।
संसार मे जो आता है ।
वह जरूर ऊपर जाता है।।
प्रकृति के साथ रहना है ।
ये तो कवि का कहना है ।।
कवि रवि से कहता है ।
तू क्यों अकेला रहता है ।।
तेरी दोस्ती के लिए हर कोई मरता है।
तुझसे संसार का हर दुश्मन डरता है ।।
क्या इन्सान की दोस्ती से डरते हो रवि।
या हमसे दोस्ती नहीं करना चाहते हो रवि ।।
तुझसे कहता है ये कवि ।
तेरी दोस्ती चाहता हूँ रवि ।।
मानवों को तूँ इतना रोशनी देता है ।
फिर क्यों तूँ इतना उदास रहता है ।।
तुम्हे ठंढी मे देखने के लिए लोग तरसते है ।
गर्मियों मे तुम में फिर क्यों आग बरसते है।।
मै हूँ एक छोटा सा कवि ।
मुझसे से दोस्ती करोगे रवि।।
ये तो कवि का कहना है ।।
कवि रवि से कहता है ।
तू क्यों अकेला रहता है ।।
तेरी दोस्ती के लिए हर कोई मरता है।
तुझसे संसार का हर दुश्मन डरता है ।।
क्या इन्सान की दोस्ती से डरते हो रवि।
या हमसे दोस्ती नहीं करना चाहते हो रवि ।।
तुझसे कहता है ये कवि ।
तेरी दोस्ती चाहता हूँ रवि ।।
मानवों को तूँ इतना रोशनी देता है ।
फिर क्यों तूँ इतना उदास रहता है ।।
तुम्हे ठंढी मे देखने के लिए लोग तरसते है ।
गर्मियों मे तुम में फिर क्यों आग बरसते है।।
मै हूँ एक छोटा सा कवि ।
मुझसे से दोस्ती करोगे रवि।।
नाम :चन्दन कुमार , कक्षा : 7 , "अपना घर", कानपुर
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