"गाँधी के भारत में राज्य बटते हुए "
गाँधी तू कहाँ गया ।।
तेरा देश बट गया ।।
तेरे लोग बात गए ।
जातिया बात गई ।।
और अब तेरे राज्य भी बात बंट रहे है ।
गाँधी तू कहाँ गया ।।
तेरा भारत टूट रहा है ।
नदियाँ बंट गई ।।
बंट गई फसले और तेरे जिले भी बंट रहे है ।
गाँधी तू कहाँ गया ।।
तेरा देश मिट रहा है ।
मिट गई तेरी बिरासत ।।
मिट गई तेरी संस्कृति ।
और अब तेरे रिश्ते भी मिट रहे है ।
गाँधी तू कहाँ गया ।।
तेरा देश बट गया ।।
तेरे लोग बात गए ।
जातिया बात गई ।।
और अब तेरे राज्य भी बात बंट रहे है ।
गाँधी तू कहाँ गया ।।
तेरा भारत टूट रहा है ।
नदियाँ बंट गई ।।
बंट गई फसले और तेरे जिले भी बंट रहे है ।
गाँधी तू कहाँ गया ।।
तेरा देश मिट रहा है ।
मिट गई तेरी बिरासत ।।
मिट गई तेरी संस्कृति ।
और अब तेरे रिश्ते भी मिट रहे है ।
के .एम .भाई , सामाजिक कार्यकर्ता, कानपुर
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