"पिंडो के सामान "
आकाशीय पिंडो में ,
भिड़ने की छमता नहीं होती ।
आकर्षण के कारण ,
उन मे की मिलने की ,
सम्भावना नहीं होती ।
पक्षियों को झुण्ड में
चलने की आदत होती है,
उन में भी,
मिलने की सम्भावना नहीं होती ।
इंसानों में तो ,
सारी योग्यता होती है फिर भी ,
हर एक पथ में,
एक अलग ही चाहत होती है ।
सामंजस्य एवं एकता की ,
कोई खास भावना नहीं होती ,
इन में मिलने जुलने की ,
वर्षों से परम्परा है ,
फिर भी आपस में ,
कोई विशेषता नहीं होती ,
सारे के सारे इंसानों में भी
आपस में आकर्षण ,
पिंडो से ज्यादा ,
भावनाओं का भंडार है ,
ये सारे के सारे ,
पिंडो के सामान हैं ।
आकाशीय पिंडो में ,
भिड़ने की छमता नहीं होती ।
आकर्षण के कारण ,
उन मे की मिलने की ,
सम्भावना नहीं होती ।
पक्षियों को झुण्ड में
चलने की आदत होती है,
उन में भी,
मिलने की सम्भावना नहीं होती ।
इंसानों में तो ,
सारी योग्यता होती है फिर भी ,
हर एक पथ में,
एक अलग ही चाहत होती है ।
सामंजस्य एवं एकता की ,
कोई खास भावना नहीं होती ,
इन में मिलने जुलने की ,
वर्षों से परम्परा है ,
फिर भी आपस में ,
कोई विशेषता नहीं होती ,
सारे के सारे इंसानों में भी
आपस में आकर्षण ,
पिंडो से ज्यादा ,
भावनाओं का भंडार है ,
ये सारे के सारे ,
पिंडो के सामान हैं ।
नाम : अशोक कुमार , कक्षा : 10, अपना घर कानपुर
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