"यह भी जिंदगी"
क्या इंसान भी वो होते है ।
जो भूखे ही सोते है ।।
नहीं है उनका कोई सहारा ।
भूखा रहता उनका पेट बेचारा ।।
जो देता है उनको दान ।
वो करते है उनका सम्मान ।।
भलाई का जमाना नहीं रहा।
युग कलयुग का चल रहा।।
क्या इंसान भी वो होते है ।
जो भूखे ही सोते है ।।
नहीं है उनका कोई सहारा ।
भूखा रहता उनका पेट बेचारा ।।
जो देता है उनको दान ।
वो करते है उनका सम्मान ।।
भलाई का जमाना नहीं रहा।
युग कलयुग का चल रहा।।
नाम : ज्ञान कुमार , कक्षा : 9, अपना घर ,कानपुर
1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर कविता लिखी है, ज्ञान को बहुत शुभकामना।
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