हौसलों से होती उड़ान....
पंख है मेरे फिर भी न मैं उड़ पाता,
किसी तरह हर राह आसान बनाता ....
पंख हैं मेरे सुलझे-सुलझे ,
काँटों में हम हैं उलझे ....
नयी बात क्या बतलाऊं ,
मैं कैसे उलझा तुमको कैसे समझाऊं ....
जीवन के इस डगर पे है कठिनाई,
नहीं किसी से अब तुम डरना भाई.....
पंख हैं हमारे कोमल,
कठिन है जीना यह जीवन....
पंख है एक मात्र सहारा,
जिससे उड़ना जीवन सारा...
पंख हर किसी के पास होती है,
जिससे उड़ना जीवन सारा...
पंख हर किसी के पास होती है,
मगर उड़ान हौंसलों से होती है ....
लेखक : आशीष कुमार , कक्षा : ९, अपना घर
2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर रचना......
ऐसे ही रचते रहो.........
प्यारी कविता
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