मूर्ख दिवस हम सब मनाते,
एक अप्रैल को अपनी मूर्खता दिखाते।
पढ़ाई में अपना मन नहीं लगाते,
इसलिए कुछ बन नहीं पाते।
माता पिता को दुःख देते,
वो बेचारे चुपचाप सहते।
बच्चे कहते इसमें दोष नहीं हमारा,
ये तो वक्त है जिसके पीछे है जमाना।
जमाना तो कभी कुछ नहीं कहता,
पैसो के खातिर इंसान आपस में लड़ता।
फूलों के ऊपर तितली, भंवरे रहते,
हम न किसी के आगे झुकते।
मूर्ख दिवस हम सब मनाते,
अपनी मूर्खता का परिचय दिलाते।
लेखक: आशीष कुमार, कक्षा ७, अपना घर
3 टिप्पणियां:
Sundar aur rochak---.
ha ha ha ha bhut sundar..
regards
बहुत सुंदर लिखते हो
धन्यवाद
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