मंगलवार, 29 अप्रैल 2025

कविता : "ओ वीर "

 "ओ वीर "
 अरे ! वीर तू आगे बढ़ ,
कदमों तले आशमा तक चल ,
उम्मीद की मिशाल लेकर चल ,
सगर और पर्वत जैसे सोच लेकर चल ,
अब बस चलना है चले चलो ,
तुझे किसी ने युद्ध में ललकारा है। 
जीत की एक रह दिखाया है। 
अब समझौते का वक्त नहीं। 
 जंग की तैयारी कर। 
यह उम्मीद की लताए मुरझा गई ,
यह प्यासी - प्यासी  भटक रही है। 
अरे ! वीर अब बूंदो  के बाण  चलाव ,
उम्मींद की लताए  की प्यास बुझाव। 
अरे ! वीर तुम आगे बड़,
कदमो टेल आसमा एक चला। 
कवि : अमित कुमार, कक्षा : 11th,
अपना घर। 

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