"ओ वीर "
अरे ! वीर तू आगे बढ़ ,
कदमों तले आशमा तक चल ,
उम्मीद की मिशाल लेकर चल ,
सगर और पर्वत जैसे सोच लेकर चल ,
अब बस चलना है चले चलो ,
तुझे किसी ने युद्ध में ललकारा है।
जीत की एक रह दिखाया है।
अब समझौते का वक्त नहीं।
जंग की तैयारी कर।
यह उम्मीद की लताए मुरझा गई ,
यह प्यासी - प्यासी भटक रही है।
अरे ! वीर अब बूंदो के बाण चलाव ,
उम्मींद की लताए की प्यास बुझाव।
अरे ! वीर तुम आगे बड़,
कदमो टेल आसमा एक चला।
कवि : अमित कुमार, कक्षा : 11th,
अपना घर।
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