गुरुवार, 10 अप्रैल 2025

कविता : " स्कूल जाने की बारी आई "

 " स्कूल जाने की बारी आई "
 स्कूल  आ गया देखो खुलने को ,
मन करता है स्कूल चलने को।
वही टाइम  काटता सही से ,
पढ़ाई सुरु हो गई अभी से।
कभी - कभी बच्चे बोर हो जाते,
तो कभी समय मौज मस्ती में बिताते।
टीचर भी कभी पड़ने आते ,
बच्चे भी पड़ने से जान बचते।
स्कूल एक है घर के जैसा ,
जहा पर माँ - बाप का जाता पैसा। 
स्कूल में मिलता पढ़ाई अच्छा।
 
कवि : अजय कुमार, कक्षा : 11th, 
अपना घर।

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