मंगलवार, 15 अप्रैल 2025

कविता : " गर्मी के दिन "

 " गर्मी के दिन "
 गर्मी का दिन वो आया ,
सुबह और शाम को सिर्फ छाया ,
बाकी समय सिर्फ धूप आया। 
दिन को इस गर्मी में ,
पसीना का नदियाँ बह आया ,
गर्मी का वो दिन आया। 
आया पेड़ो के निचे है सिर्फ छाया  ,
बाकी जगह की रोशनी छाया ,
गर्मी का दिन वो आया। 
सुबह और शाम को सिर्फ छाया। 
गर्मी का दिन वो आया। 
कवि : विष्णु कुमार, कक्षा : 6th, 
अपना घर। 

1 टिप्पणी:

Priyahindivibe | Priyanka Pal ने कहा…

गर्मी का दिन और भी तपे रहे है कारण जलवायु परिवर्तन । आपकी रचना हमें सचेत करती है कि हमें प्रकृति का संतुलन बनाए रखने में जितना हो सके उतना सहयोग देना चाहिए ।