" गर्मी के दिन "
गर्मी का दिन वो आया ,
सुबह और शाम को सिर्फ छाया ,
बाकी समय सिर्फ धूप आया।
दिन को इस गर्मी में ,
पसीना का नदियाँ बह आया ,
गर्मी का वो दिन आया।
आया पेड़ो के निचे है सिर्फ छाया ,
बाकी जगह की रोशनी छाया ,
गर्मी का दिन वो आया।
सुबह और शाम को सिर्फ छाया।
गर्मी का दिन वो आया।
कवि : विष्णु कुमार, कक्षा : 6th,
अपना घर।
1 टिप्पणी:
गर्मी का दिन और भी तपे रहे है कारण जलवायु परिवर्तन । आपकी रचना हमें सचेत करती है कि हमें प्रकृति का संतुलन बनाए रखने में जितना हो सके उतना सहयोग देना चाहिए ।
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